जो रखती नो मास पेट में
उसका दुख कभी जाना हैं
हँसते हँसते सह लेती सब
यही औरत का गहना हैं।
आज उसी गहने से सुन लो
आज खास कुछ कहना हैं
जो माँ बाप का ख्याल ना रखे
वो बिन डाली का टहना हैं
ये वो रखवाले हैं घर के
जिन्होंने दर्द का वस्त्र पहना हैं
हँसते हँसते सह लेती सब
यही औरत का गहना हैं।
जो रखती नो मास पेट में
उसका दुख कभी जाना हैं।----
आज हुई हालत उस माँ की
सड़क पे भूखी मरती हैं
लेकिन अपने गहने की
बदनामी से वो डरती हैं
डूब मरे ऐसी औलादे
जिन्होंने बेटो का नक़ाब पहना हैं
हँसते हँसते सह लेती सब
यही औरत का गहना हैं।
जो रखती नो मास पेट में
उसका दुख कभी जाना हैं----
उँगली पकड़ के गोद उठा के
कभी घोड़ा बन जाते थे।
आज उन्ही का साथ छोड़
उनको धमकाते डराते हो।
ये मत भूलो तुमको भी
उसी उम्र के घर मे रहना हैं
हँसते हँसते सह लेती सब
यही औरत का गहना हैं।
जो रखती नो मास पेट में
उसका दुख कभी जाना हैं----
भूखी प्यासी तड़प रही
देखो इक फरयादी सी।
कौन सी कोर्ट में गुहार लगाये
अपने बेटे की बर्बादी की।
इसलिये माँ ने ये ठाना
अब किसी से नही कहना हैं
हँसते हँसते सह लेती सब
यही औरत का गहना हैं।
जो रखती नो मास पेट में
उसका दुख कभी जाना हैं----
विनोद शर्मा वत्स
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